कृष्ण की बात (भगवद्-गीता) मान लो, बस!

कृष्ण की बात (भगवद्-गीता) मान लो, बस!

🤔 भगवद्-गीता में क्या है? 

यह प्रश्न आपके मन में भी आया होगा। भगवद्-गीता तो हम सब जानते हैं कि महाभारत के कुरुक्षेत्र युद्ध में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया उपदेश है। 

पर क्या आपको पता है कि इसका सही अर्थ क्या है? क्या आपको पता है कि इसमें कितने श्लोक हैं, कितने अध्याय हैं, किस-किस विषय पर प्रकाश डाला गया है? क्या आपको पता है कि इसको पढ़ने के लिए कौन-कौन से नियम पालने पड़ते हैं? 

यदि आपको इन सब प्रश्नों का उत्तर नहीं पता, तो इसका मतलब आपने भगवद्-गीता को सिर्फ सुना है, पर समझा नहीं है। मेरी मानें, तो आपको समझने की आवश्यकता है, क्योंकि भगवद्-गीता में हमारे जीवन की सारी परेशानियों को समाप्त करने के सूत्र हैं।

मुझे पता है, कि आपको मुस्कुराहट से आराम मिलेगा, पर, मुस्कुराहट को 5 मिनट के लिए साइड में करें, और मेरी  5 मिनट की blog post (ब्लॉग पोस्ट) पढे़ं, जिसमें मेंने "भगवद्-गीता" को "यथारूप" (as it is) समझाने का प्रयत्न किया है...


🤔 भगवद्-गीता को कैसे अपनाना चाहिए? 



यदि हमें कोई औषधि (दवा) लेनी हो तो हमें उस पर लिखे निर्देशों का पालन करना होता है। हम अपनी इच्छा से या मित्र की सलाह से औषधि नहीं ले सकते। इसका सेवन लिखे हुए निर्देशों के अनुसार या चिकित्सक के निर्देशानुसार करना होता है। 

इसी प्रकार भगवद्-गीता को इसके वक्ता (श्रीकृष्ण) द्वारा दिए गए निर्देशानुसार ही ग्रहण (स्वीकार) करना चाहिए।


🤔 'भगवान्' शब्द का क्या अर्थ होता है



भगवद्-गीता के वक्ता भगवान् श्रीकृष्ण हैं। उन्हें भगवद्-गीता के हर पृष्ठ पर भगवान् (श्रीभगवान्) कहा गया है। निस्सन्देह भगवान् शब्द कभी-कभी बहुत शक्तिशाली महापुरुष या देवता के लिए प्रयुक्त होता है।

यहाँ भगवान् शब्द श्रीकृष्ण को एक महापुरुष तो घोषित करता ही है, लेकिन साथ में यह भी स्मरण रखना चाहिए कि श्रीकृष्ण स्वयं भगवान् (आदिपुरुष) हैं। 

श्रीकृष्ण ने भी भगवद्-गीता में अपने को पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् कहा है। ब्रह्म-संहिता और सभी पुराणों में, विशेषरूप से भागवत पुराण के नाम से प्रसिद्ध श्रीमद्-भागवतम् में वे इसी रूप में स्वीकार किए गए हैं

“कृष्णस्तु भगवान् स्वयम्”

📖 भागवत पुराण (श्रीमद्-भागवतम् ) 1.3.28


🤔 भगवद्-गीता का दूसरा नाम और महत्त्व क्या है?



भगवद्-गीता को गीतोपनिषद् भी कहा जाता है। यह वैदिक ज्ञान का सार है और वैदिक साहित्य का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण उपनिषद् है।

श्रीशङ्कराचार्य (अद्वैतवाद दर्शन के संस्थापक), श्रीरामानुजाचार्य (विशिष्टाद्वैतवाद दर्शन के संस्थापक, श्री सम्प्रदाय), श्रीमध्वाचार्य (शुद्ध द्वैतवाद दर्शन के संस्थापक, ब्रह्म सम्प्रदाय), श्रीनिम्बार्काचार्य (द्वैताद्वैतवाद दर्शन के संस्थापक, कुमार सम्प्रदाय), श्रीविष्णु स्वामी (शुद्धाद्वैत दर्शन के संस्थापक, रुद्र सम्प्रदाय) श्रीचैतन्य महाप्रभु (अचिन्त्यभेदाभेद दर्शन के संस्थापक, गौडीय वैष्णव सम्प्रदाय) जैसे सभी महान् आचार्यों और भारतवर्ष के वैदिक ज्ञान के दूसरे सभी विद्वानों ने इस सत्य को प्रमाणित किया है। 


🤔 अर्जुन ने भगवद्-गीता को कैसे अपनाया? 


हमें इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए कि अर्जुन ने भगवद्-गीता को किस तरह ग्रहण किया।

अर्जुन श्रीकृष्ण से कहते हैं, 

सर्वमेतदृतं मन्ये यन्मां वदसि केशव।

हे केशव! आपने जो कुछ भी कहा है, इसे मैं सम्पूर्ण रूप से सत्य मानता हूँ।

📖 भगवद्-गीता 10.14 


🤔 भगवद्-गीता को भक्तिभाव से अपनाना चाहिए ... 


इसलिए भगवद्-गीता को भक्तिभाव से ही ग्रहण करना चाहिए। कोई यह न सोचे कि वह कृष्ण के बराबर है या कृष्ण साधारण मनुष्य हैं या केवल महापुरुष हैं। 

श्रीकृष्ण साक्षात् पुरुषोत्तम भगवान् हैं - भगवद्-गीता में आए श्रीभगवान् के वचनों से और गीता के जिज्ञासु अर्जुन के वचनों से यह सत्य कम-से-कम सिद्धान्त रूप में तो सिद्ध होता ही है।

जब तक कोई भगवद्-गीता का अध्ययन विनम्र भाव से नहीं करता है, तब तक इसे समझ पाना बहुत कठिन है, क्योंकि यह एक महान् रहस्य है। 

इसलिए हम भी श्रीकृष्ण को सिद्धान्त रूप में तो श्रीभगवान् स्वीकार कर ही लें। और इस विनीत भाव से हम भगवद्-गीता को समझ सकते हैं। 

इसलिए हम भगवद्-गीता को उसी रूप में (यथारूप) ही ग्रहण करें, जिस रूप में श्रीभगवान् ने उसे कहा है।
 

🤔 भगवद्-गीता - वैदिक ज्ञान का सार


वैदिक ज्ञान पूर्ण है, क्योंकि यह सभी संशयों एवं त्रुटियों से परे है, और भगवद्-गीता समस्त वैदिक ज्ञान का सार है।

उदाहरण के लिए, वैदिक शास्त्रों में गाय के गोबर को पवित्र करनेवाला माना गया है, यद्यपि गोबर पशुमल है और स्मृति या वैदिक आदेश के अनुसार यदि कोई पशुमल को स्पर्श करता है, तो उसे शुद्ध होने के लिए स्नान करना पड़ता है। 

इसे विरोधाभास कहा जा सकता है, लेकिन यह मान्य है क्योंकि यह वैदिक आदेश है और इसमें सन्देह नहीं कि इसे स्वीकार करने पर किसी प्रकार की त्रुटि नहीं होगी। 

अब तो आधुनिक विज्ञान द्वारा यह सिद्ध किया जा चुका है कि गाय के गोबर में सभी कीटाणुनाशक गुण पाए जाते हैं।


📖 लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद

🙌🏻 श्रील प्रभुपाद की जय

🙏🏻 हरे कृष्ण (Hare Kṛṣṇa)


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